पद्मश्री बसंती बिष्ट के परम्परागत जागरों से गूंजी रामजन्म भूमि अयोध्या
देहरादूनःभगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में उत्तराखंड की प्रख्यात लोक जागर गायिका पद्मश्री बंसती बिष्ट के जागरों की गूंज से भक्तिमय हो उठी। अपनी प्रस्तुती के दौरान उन्होंने भगवान श्रीराम,श्री कृष्ण,माता सीता,नंदा देवी से जुडे गीत व जागरों को गाया।
बसंती बिष्ट अयोध्या में देश भर से पधारे पद्मश्री गीतकारों व संगीतकारों के साथ प्रस्तुती देने वाली पहली उत्तराखंडी महिला लोक कलाकार बन गई है। इस मौके पर बंसती बिष्ट ने कहा कि वह राम जन्मभूमि में रामलला के दर्शन पाकर धन्य हो गई हैं। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
अपनी प्रस्तुती में उन्होंने उत्तराखंड की परम्परागत लोक जागर शैली में सतयुग में सृष्ठि की रचना,सीता गौरा,द्वापर में सीता व श्रीराम जन्म,धनुष बंदन सीता तरूण अवस्था,सीता की विदाई,जनक सुनैना कन्यादान,सौ गायों का दान,अयोध्या में डोला स्वागत,भगवान श्रीकृष्ण गोपी व अछरी नृत्य के जागर गाये।
गौरतलब है कि,बोलदी नंदा के नाम से प्रसिद्ध पद्मश्री बंसती बिष्ट का जन्म चमोली जनपद के देवाल व्लॉक ल्वाली गांव में 1952 को विरमा देवी के घर हुआ था। जागर विधा को अपनी मॉ से सीखी बंसती बिष्ट सिर्फ 5 वी कक्षा तक गांव में पड़ सकी। इससे आगे की शिक्षा चाहकर भी वह गांव में नहीं ले सकी। भले ही बाद में उन्होंने अपनी शिक्षा पूर्ण की। छोटी सी उम्र में शादी के बाद सैनिक पति रंजीत सिंह बिष्ट ने रिटार्यडमेंट के बाद हर कदम पर उनका साथ दिया। बसंती बिष्ट ने बचपन में अपनी मां से नंदा के जागर गाकर कंठस्त कर दियें। उन्होंने इन जागरों को पुस्तक व सीडी के माध्यम से भी संजोकर रखा है। परम्परागत लोक जागर गायन की अलग शैली बंसती बिष्ट को अन्य कलाकरों से भिन्न करती है। यही कारण है कि उनकी गिनती न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश के दिग्गज कलाकारों में की जाती है।