जलते जंगलों के लिए कौन है. जिम्मेदार वन विभाग पर उठे सवाल
Who is for burning forests? Questions raised on responsible forest department
साल दर साल बढ़ती जा रही है वनाग्नि,वन विभाग की कार्यप्रणाली पर लगे प्रश्न चिन्ह
देहरादून: सूबे मैं वनाग्नि की घटना मे साल दर साल इजाफा होता जा रहा है। उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में जंगलों में आग लगने की घटनाएं साल दर साल बढ़ती जा रहीं हैं। गर्मियां शुरू होते ही आग की घटनाएं अधिक देखने को मिलती हैं।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत काम करने वाले भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) के मुताबिक पहली नवंबर 2023 से पहली जनवरी 2024 के बीच उत्तराखंड में 1006 आग लगने की घटनाएं हुई हैं।
पिछले साल की तुलना में, इसमें भारी वृद्धि देखी जा रही है, क्योंकि इससे पहले सालों में इसी अवधि के दौरान लगभग 556 आग लगने की घटनाएं हुई थी।
साल 2024 की अगर बात करें तो उत्तराखंड में अब तक 150 से ज्यादा वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की जा चुकी है। भले ही वन विभाग वानाग्नि की घटनाओं पर नियंत्रण करने और जन जागरूकता को लेकर लाख दावे कर रहा हो लेकिन यह दावे सब हवा हवाई नजर आ रहे हैं क्योंकि अगर धरातल पर देखें तो आगजनी की घटनाओं में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। ऐसे में प्रदेशभर में वन संपदा को भारी छति पहुंच रही है। हर साल सैकड़ो हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो रहे हैं।
वन विभाग के अधिकारियों की माने तो वनाग्नि की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। इसके साथ ही जन जागरूकता अभियान पर भी फोकस किया जा रहा है। अपर मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा ने कहा कि आगजनी की घटनाओं की सूचना के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है। ताकि ऐसी घटनाओं की सूचना मिलने पर तत्काल नियंत्रण पाया जा सके।